यह चमकदार रत्न होता है और बहुत चिकना होता है। धनत्व अधिक होने के कारण इसका औसत वजन भी अधिक होता है। मंगल का रत्न प्रकाश पड़ने पर सिंदूरी रंग की आभा प्रकट करता है। यह बहुत सुंदर रत्न होता है इसलिए इसका इस्तेमाल आजकल बहुत तेजी से चलन में आ रही फैशन ज्वेलरी में भी किया जाता है।
ज्योतिष और मूंगा रत्न के लाभ
जन्मकुंडली में मंगल क्रूर होने, नीच का होने या फिर फलदायी होने पर उसके बुरे फल से बचने के लिए मूंगा धारण करते हैं। ज्योतिष में ऐसा माना जाता है यदि मूंगा शुद्ध हो और अच्छी जगह का हो तो इसको धारण करने वाले का मन प्रसन्न रहता है। बच्चे को मूंगा पहनाने पर उसे पेट दर्द और सूखा (कुपोषण) रोग नहीं होता है। जन्म के समय यदि सूर्य मेष राशि में हो या फिर जन्म 15 नवंबर से 14 दिसंबर के बीच हो तो ऐसे लोगों को मूंगा अवश्य धारण करना चाहिए। कुंडली में निम्न परिस्थितियां होने पर मूंगा धारण करने की सलाह दी जाती है।
मंगल कुंडली में राहू या शनी के साथ कहीं भी स्थित हो तो मूंगा पहनना बहुत लाभ पहुंचाता है।
मंगल अगर प्रथम भाव में हो तो भी मूंगा धारण करना बहुत लाभदायक होता है।
मंगल यदि कुंडली में तीसरे भाव में हो तो भाई बहनों के साथ क्लेश कराता है। ऐसे में मूंगा धारण करना लाभदायक होता है और भाई बहनों के बीच प्रेम बना रहता है।
चौथे भाव में मंगल जीवन साथी के स्वास्थ्य को खराब करता है। इस परिस्थिति में मूंगा धारण करने से जीवन साथी स्वस्थ्य रहता है।
सप्तम और द्वादश भाव में बैठा मंगल अशुभ कारक होता है। यह जीवन साथी को कष्ट देता है और उनसे संघर्ष कराता है। इस स्थिति में मूंगा पहनना बहुत लाभ देता है।
अगर कुंडली में धनेश मंगल नौवे भाव में, चतुर्थेश मंगल एकादश भाव में या पंचम भाव का स्वामी मंगल बारहवें भाव में हो तो मूंगा पहनना अत्यंत लाभकारी होता है।
अगर कुंडली में नौवे भाव का स्वामी मंगल चौथे स्थान में हो या दशवें भाव का स्वामी मंगल पांचवें तथा ग्यारवें भाव में हो तो ऐसे में मूंगा पहनना अच्छा होता है।
कुंडली में कहीं भी बैठा मंगल यदि सातवें, दसवें और ग्यारवें भाव को देख रहा होता है तो मूंगा धारण करना लाभदायक होता है।
अगर मेष या वृश्चिक लग्न में मंगल छठे भाव में, पंचमेश मंगल दसवें भाव में, धनेश मंगल सप्तम भाव में, चतुर्थेश मंगल नौवे भाव में, नवमेश मंगल धन स्थान में, सप्तमेश मंगल द्वादश भाव में, दशमेश मंगल बाहरवें भाव में या फिर ग्यारवां मंगल चौथे भाव में हो तो मूंगा धारण करना अत्यंत लाभकरी होता है।
छठे, आठवें और बारहवें भाव में मंगल स्थित हो तभी तो मूंगा धारण करना लाभकारी होता है।
मंगल की दृष्टि सूर्य पर पड़ रही हो तो भी मूंगा पहनना लाभदायक होता है।
कुंडली में मंगल चंद्रमा के साथ हो तो यदि मूंगा धारण किया जाए तो आर्थिक स्थिति अच्छी होती है।
कुंडली में मंगल छठें भाव और आठवें भाव के स्वामी के साथ बैठा हो तो या इन ग्रहों की दृष्टि मंगल पर पड़ रही हो तो मूंगा धारण करने पर लाभ होता है।
कुंडली में मंगल वक्री, अस्त या पहले भाव में हो तो मूंगा पहनकर इनके नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है।
जन्मकुंडली में मंगल शुभ भावों का स्वामी हो लेकिन खुद शत्रु ग्रहों या अशुभ ग्रहों के साथ बैठा हो तो इसके अच्छे प्रभावों को शक्ति देने के लिए मूंगा धारण करना चाहिए।